सेंसेक्स 1770... तो निफ्टी 545 अंक

सेंसेक्स-1770-तो-निफ्टी-545-अंक

Published Date : 2024-10-04

 

सेंसेक्स-1770-तो-निफ्टी-545-अंक, सेंसेक्स 1770… तो निफ्टी 545 अंक टूटा… शेयर बाजार के दोनों इंडेक्स ने दिनभर गिरावट के साथ लाल निशान पर कारोबार किया. इस बीच सेंसेक्स 1800 अंक तक फिसला, तो निफ्टी 550 अंक तक टूटा….

शेयर बाजार में एक बड़ी गिरावट आई है। सेंसेक्स और निफ्टी भारत के दो प्रमुख शेयर बाजार सूचकांक हैं। जब ये सूचकांक गिरते हैं, इसका मतलब है कि ज्यादातर कंपनियों के शेयरों की कीमतें कम हो गई हैं।ब्रांडिंग ब्रांडिंग आज का बाजार

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शेयर बाजार के दोनों इंडेक्स ने दिनभर गिरावट

सप्ताह के चौथे कारोबारी दिन गुरुवार को शेयर बाजार (Stock Market) ने खराब शुरुआत की और दिनभर लाल निशान पर कारोबार किया.

सेंसेक्स-1770-तो-निफ्टी-545-अंक: आखिरी कारोबारी घंटे में तेज गिरावट

ईरान और इजरायल के बीच जंग के हालातों के बीच मिडिल ईस्ट के तनाव का असर गुरुवार को शेयर बाजार पर साफ देखने को मिला.

BSE Sensex अपने पिछले बंद 84,266 की तुलना में 995 अंक टूटकर 83,270 के लेवल पर कारोबार शुरू किया और फिर मार्केट बंद होने तक टूटता ही चला गया.

अंत में सेंसेक्स 1769.19 अंक या 2.10 फीसदी की गिरावट लेकर 82,497.10 के लेवल पर क्लोज हुआ.

सेंसेक्स में इस कदर गिरावट का असर बीएसई के मार्केट कैप पर भी दिखाई दिया और ये 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा टूट गया.

सेंसेक्स-1770-तो-निफ्टी-545-अंक: 5% से ज्यादा टूटे 10 पांच शेयर

अब बात कर लेते हैं गुरुवार को शेयर मार्केट (Share Market) के उन शेयरों के बारे में, जिनमें 5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई.  इनमें Dabur India Share 6.27% गिरकर 580 रुपये के लेवल पर क्लोज हुआ.

Power Finance Corp Share 5.37% की गिरावट लेकर 467.55 रुपये पर बंद हुआ.

DLF Share 5.25% की फिसलकर 864.85 रुपये पर आ गया.

BPCL Share में बड़ी गिरावट आई और ये 5.27% टूटकर 348.85 रुपये पर क्लोज हुआ.

इसके अलावा HPCL Share 6.71%, तो Godrej Properties Share 5.57% और Suzlon Energy Share 5% फिसला.

GMR Airport Share 5.64% गिरा, NBCC India Share 5.34%, तो Sterling Share 5% टूटकर बंद हुआ.

सेंसेक्स-1770-तो-निफ्टी-545-अंक:  एक विस्तृत विश्लेषण

आपने जो खबर देखी है, वह निश्चित रूप से चिंताजनक है। सेंसेक्स और निफ्टी में इतनी बड़ी गिरावट से निवेशकों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है।

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इस गिरावट के पीछे संभावित कारण:

  • मध्य पूर्व में तनाव: अक्सर वैश्विक शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव के पीछे भू-राजनीतिक घटनाएं होती हैं। मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ सकता है।
  • अर्थव्यवस्था में मंदी के डर: वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के डर से भी निवेशक अपने निवेश निकाल सकते हैं, जिससे शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है।
  • मुद्रास्फीति: बढ़ती मुद्रास्फीति से केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं, जिससे कंपनियों पर उधार लेने का बोझ बढ़ सकता है और उनकी लाभप्रदता कम हो सकती है।
  • अन्य वैश्विक कारक: कई अन्य वैश्विक कारक जैसे कि व्यापार युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं आदि भी शेयर बाजार में अस्थिरता पैदा कर सकते हैं।

आप क्या कर सकते हैं:

  • शांत रहें: घबराएं नहीं और जल्दबाजी में कोई फैसला न लें।
  • विश्लेषण करें: इस गिरावट के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश करें।
  • विविधता लाएं: अपने निवेश को विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में विभाजित करें ताकि जोखिम कम हो सके।
  • दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखें: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। दीर्घकालिक दृष्टिकोण से निवेश करने से आपको अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं।
  • एक विशेषज्ञ से सलाह लें: यदि आप निवेश के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो एक वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें।

सेंसेक्स-1770-तो-निफ्टी-545-अंक शेयर बाजार में क्यों आई जबरदस्त गिरावट?

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सेंसेक्स-1770-तो-निफ्टी-545-अंक, हाल ही में शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है और निवेशकों को काफी नुकसान हुआ है। इस गिरावट के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • मध्य पूर्व में तनाव: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव से तेल की कीमतें बढ़ती हैं, जिससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ जाता है। तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ती है और कंपनियों की लागत बढ़ती है, जिससे उनके मुनाफे पर असर पड़ता है।
  • अर्थव्यवस्था में मंदी का डर: वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के डर से निवेशक अपने निवेश निकाल लेते हैं, जिससे शेयर बाजार में भारी बिकवाली होती है।
  • मुद्रास्फीति: बढ़ती मुद्रास्फीति से केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाते हैं, जिससे कंपनियों पर उधार लेने का बोझ बढ़ जाता है और उनकी लाभप्रदता कम हो सकती है।
  • अन्य वैश्विक कारक: व्यापार युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं, राजनीतिक अस्थिरता आदि जैसे अन्य वैश्विक कारक भी शेयर बाजार में अस्थिरता पैदा कर सकते हैं।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में चुनौतियाँ: भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ चुनौतियाँ जैसे कि बेरोजगारी, कृषि संकट आदि भी शेयर बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।

निवेशकों के लिए क्या मतलब है:

  • शांत रहें: घबराएं नहीं और जल्दबाजी में कोई फैसला न लें।
  • विश्लेषण करें: इस गिरावट के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश करें।
  • विविधता लाएं: अपने निवेश को विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में विभाजित करें ताकि जोखिम कम हो सके।
  • दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखें: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। दीर्घकालिक दृष्टिकोण से निवेश करने से आपको अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं।
  • एक विशेषज्ञ से सलाह लें: यदि आप निवेश के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो एक वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शेयर बाजार में निवेश जोखिम भरा होता है और आपको हमेशा अपने निवेश से पहले पूरी तरह से जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।

सेंसेक्स-1770-तो-निफ्टी-545-अंक शेयर बाजार में गिरावट: क्या है इसकी वजह?

यह एक चिंता का विषय है और निवेशकों के लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।

शेयर बाजार में गिरावट के कुछ संभावित कारण इस प्रकार हैं:

  • अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम: वैश्विक स्तर पर राजनीतिक अस्थिरता, व्यापार युद्ध, या आर्थिक मंदी जैसी घटनाएं शेयर बाजार को प्रभावित कर सकती हैं।
  • घरेलू आर्थिक संकेतक: मुद्रास्फीति, ब्याज दरों में बदलाव, या GDP वृद्धि दर में मंदी जैसी घरेलू आर्थिक स्थितियां भी शेयर बाजार पर असर डालती हैं।
  • कंपनियों के वित्तीय परिणाम: यदि कंपनियों के मुनाफे में गिरावट आती है या उनके भविष्य के बारे में निवेशकों को चिंता होती है, तो शेयरों की कीमतें गिर सकती हैं।
  • निवेशकों की भावनाएं: निवेशकों की भावनाएं शेयर बाजार को बहुत प्रभावित करती हैं। यदि निवेशक भविष्य के बारे में आशंकित हैं, तो वे शेयर बेचना शुरू कर सकते हैं, जिससे बाजार में गिरावट आ सकती है।

शेयर बाजार में गिरावट का आम लोगों पर क्या असर पड़ता है?

  • निवेशकों के लिए: शेयर बाजार में गिरावट से निवेशकों को नुकसान हो सकता है। उनके पोर्टफोलियो का मूल्य कम हो सकता है।
  • अर्थव्यवस्था के लिए: शेयर बाजार में गिरावट से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कंपनियों के पास निवेश के लिए कम पैसे होंगे और रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं।
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